*साफ़ मौसम और पर्याप्त स्टॉक से चना वायदा लुढ़का *
*मुंबई (एग्री वर्ल्ड)* - चना वायदा में आज तेज गिरावट देखने को मिल रहा है। मार्च वायदा 23 रुपए की गिरावट के साथ 4250 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार करता देखा गया, वहीँ अप्रैल का वायदा 26 रुपये घटकर 4280 पर कारोबार कर रहा था।
चना वायदा पिछले सप्ताह लगभग 1% की तेजी देखी गई थी। तेजी का कारण नाफेड द्वारा बल्क टेंडर के पास नहीं होना रहा था। इसके साथ-साथ मौसम विभाग ने चना उत्पादक राज्यों में ओले और बारिश के पूर्वानुमान से भी तेजी को बल मिला था।
*HELPLINE: 8652516385/9930364115*
जानकारों की माने तो चना में अभी वर्तमान स्तर पर खरीदी से बचना चाहिए क्योंकि नाफेड के पास काफी स्टॉक मौजूद है। देसी चना की आवक भी धीरे धीरे बढ़ने से भाव पर कुछ दबाव देखने को मिलेगा। अभी चना दाल में मांग भी औसत बताई जा रही है।
चना उत्पादक राज्यों में यदि मौसम साफ़ रहता है तो फिलहाल भाव में तेजी की संभावना कम ही है, हालांकि भाव में आगे रिकवरी आने की संभावना अधिक है क्योंकि इस वर्ष देश में चना का उत्पादन कमजोर होने के साथ ऑस्ट्रेलिया में फसल बेहद कम है। मटर के आयात पर पाबन्दी होने और महँगा भाव की वजह से चना की खपत बढ़ने का अनुमान है, जो निचले स्तरों पर चना को सपोर्ट प्रदान कर सकता है। हालांकि अभी चना में गिरावट की जगह देखी जा रही है।
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*मुंबई (एग्री वर्ल्ड)* - चना वायदा में आज तेज गिरावट देखने को मिल रहा है। मार्च वायदा 23 रुपए की गिरावट के साथ 4250 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार करता देखा गया, वहीँ अप्रैल का वायदा 26 रुपये घटकर 4280 पर कारोबार कर रहा था।
चना वायदा पिछले सप्ताह लगभग 1% की तेजी देखी गई थी। तेजी का कारण नाफेड द्वारा बल्क टेंडर के पास नहीं होना रहा था। इसके साथ-साथ मौसम विभाग ने चना उत्पादक राज्यों में ओले और बारिश के पूर्वानुमान से भी तेजी को बल मिला था।
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जानकारों की माने तो चना में अभी वर्तमान स्तर पर खरीदी से बचना चाहिए क्योंकि नाफेड के पास काफी स्टॉक मौजूद है। देसी चना की आवक भी धीरे धीरे बढ़ने से भाव पर कुछ दबाव देखने को मिलेगा। अभी चना दाल में मांग भी औसत बताई जा रही है।
चना उत्पादक राज्यों में यदि मौसम साफ़ रहता है तो फिलहाल भाव में तेजी की संभावना कम ही है, हालांकि भाव में आगे रिकवरी आने की संभावना अधिक है क्योंकि इस वर्ष देश में चना का उत्पादन कमजोर होने के साथ ऑस्ट्रेलिया में फसल बेहद कम है। मटर के आयात पर पाबन्दी होने और महँगा भाव की वजह से चना की खपत बढ़ने का अनुमान है, जो निचले स्तरों पर चना को सपोर्ट प्रदान कर सकता है। हालांकि अभी चना में गिरावट की जगह देखी जा रही है।
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